Saturday 8 June 2019

रेगिस्तान में देश की रक्षा के साथ, परिंदों की भी करते हैं रक्षा बीएसएफ के जवान


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हिन्दुस्तान की नज़र/मो० फैज़ान


राजस्थान। जैसलमेर में पड़ने वाले भारत-पाकिस्तान बॉर्डर की चिलचिलाती गर्म रेत दूसरी जगहों के मुकाबले तापमान को चरम पर ले जाती है। यहां की जला देने वाली गर्मी में भी सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवान एक तरफ जमीन पर तपते रेगिस्तानी बॉर्डर की रक्षा करते हैं, और दूसरी ओर भूख प्यास से विचलित होकर सीमा पार से आने वाले अपने परिंदे दोस्तों को जीवन भी देते हैं।


जब यहां का पारा 50 डिग्री के आसपास पहुंचता है तो गर्मी से छटपटाते हुए सीमा पार से कुछ परिंदे इस ओर चले आते हैं। आश्चर्य की बात यह है कि इन परिंदों को यह बिल्कुल ठीक-ठीक मालूम होता है कि बीएसएफ के जवान कब, कहां से और कितने बजे गुजरेंगे। वो बिल्कुल सही वक्त पर खाने-पीने के लिए यहां चले आते हैं। बीएसएफ जवानों ने कई जगहों पर इन परिंदों के लिए दाना और पानी का इंतजाम भी कर रखा है।


गर्मी से राहत के लिऐ ये जवान करते हैं ये उपाय -दही-प्याज का नुस्खा वैसे तो पुराना हो गया है, लेकिन कुछ जवान इसे आज भी आजमाते हैं। कुछ जवान गुड़ और चना अपने पास रखते हैं। गर्मी से बचने के लिए वो सिर पर मोटे कपड़े का पटका बांधे रखते हैं, ताकि चेहरा और सिर, दोनों लू से बचे रहें। कई बार एक जवान को 17 घंटे तक भी गश्त पर रहना पड़ता है। गश्त के दौरान पानी की बोतल साथ होती है। धूल भरी गर्म हवाओं से आंखों का बचाव करने के लिए जवानों को चश्मा उपलब्ध कराया गया है।  रात को एक बजे के आसपास जब रेगिस्तान का तापमान करीब 20 डिग्री नीचे चला जाता है और ठंडी हवाएं चलने लगती हैं, तब ही ये जवान नींद ले पाते हैं।


जवानों को अगर थोड़ी बहुत देर के लिए छांव में खड़े होना हो तो वे बेर और खेजड़ी जैसे पेड़ों का सहारा लेते हैं। इनकी  छांव गहरी नहीं होती, लेकिन जवान को सूरज की सीधी किरणों से बचाती है। ये पेड़ भी खुद बीएसएफ जवानों ने ही लगाए हैं।


पेट्रोलिंग के रास्ते पर जवानों को अपने लिए भले ही कुछ न मिले, लेकिन उन्होंने बेजुबान परिंदों और गायों के खाना-पानी का इंतजाम कर रखा है। कई जगहों पर पेड़ की छांव में परिंदों और गायों के लिए पानी भरकर रख दिया जाता है। खाना-पानी की तलाश में सीमा पार के परिंदे भी बीएसएफ वालों के आसपास आ जाते हैं। यूं कहिए कि अब वे बीएसएफ के दोस्त बन गए हैं। बीएसएफ के जवान जब सीमा पर गश्त करते हैं तो वे सीमा पार से आए परिंदे जवानों के कंधों पर बैठ जाते हैं। जवान तुरंत समझ जाते हैं और वे उन्हें पानी पिलाते हैं। कुछ दाना डाल देते हैं। गुड़ चना भी खिलाते हैं। इन परिंदों को यह मालूम होता है कि जवान कितने बजे किस प्वाइंट पर पहुंचेंगे। वे ठीक उसी वक्त वहां चले आते हैं।


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