Monday 10 June 2019

मुख्यमंत्री ने किसान पाठशाला 'द मिलियन फार्मर्स स्कूल' का शुभारंभ किया


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  • मुख्यमंत्री ने काॅफी टेबल बुक, 'कृषि कुम्भ- 2018' तथा किसान पाठशाला के चतुर्थ संस्करण की पत्रिका का विमोचन किया।


  • हिन्दुस्तान की नज़र/मो० फैज़ान
    लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार के सत्ता में आने के बाद कृषि क्षेत्र सरकार की प्राथमिकता बना है। प्रदेश के अन्नदाता किसानों के परिश्रम, राज्य सरकार के समग्र प्रयास तथा केन्द्रीय योजनाओं को योजनाबद्ध ढंग से लागू करने से राज्य की धरती सोना उगल रही है। वर्तमान में उत्तर प्रदेश खाद्यान्न उत्पादन में देश में प्रथम स्थान पर है। राज्य में देश की कुल भूमि का मात्र 11 प्रतिशत है। किन्तु प्रदेश में देश के कुल खाद्यान्न उत्पादन का 20 ℅ पैदा किया जा रहा है।
    मुख्यमंत्री जी आज यहां लोक भवन में कृषि विभाग के किसान पाठशाला के चतुर्थ संस्करण 'द मिलियन फार्मर्स स्कूल 3.0' के शुभारम्भ समारोह में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि 'द मिलियन फार्मर्स स्कूल' एक अभिनव कार्यक्रम है, जिसमें अन्नदाता किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए जागरूकता कार्यशालाएं संचालित की जाती हैं। इसमें किसानों को खेती की आधुनिक तकनीक से परिचित कराकर कम लागत में अधिक उत्पादन की तरीकों के बारे में बताया जाता है। चतुर्थ संस्करण 02 चरणों में संचालित किया जाएगा। अभी तक चलाए गए 03 संस्करणों में से प्रत्येक सस्करण में सभी 75 जनपदों में 15 हजार से भी अधिक कार्यशालाओं की मदद से 10 लाख से भी अधिक किसानों को प्रशिक्षित किया गया है। उन्होंने कहा कि शासन की योजनाएं किसानों तक ईमानदारी से पहुंचे, इसके लिए जागरूकता जरूरी है। किसान पाठशाला इसमें बड़ी भूमिका निभा रही है। 
    मुख्यमंत्री जी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने के संकल्प को साकार करने में प्रदेश के किसानों की भूमिका की चर्चा करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने केन्द्रीय योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू किया है। किसानों को बड़े पैमाने पर स्वायल हेल्थ कार्ड वितरित किए गए है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का सरलीकरण किया गया है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत 02 लाख हेक्टेयर से अधिक अतिरिक्त सिंचाई क्षमता का सृजन किया गया है। इस वर्ष के अन्त तक 20 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में अतिरिक्त सिंचाई क्षमता विकसित की जाएगी। किसानांे को पारदर्शी ढंग से योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए प्रदेश के 2.33 करोड़ किसानों का डाटा बैंक तैयार किया जा रहा है। 1.80 करोड़ किसानों का डाटा बैंक तैयार कर लिया गया है। 
    मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार किसानों से सीधे उनकी उपज खरीदने के साथ ही, आर0टी0जी0एस0 के माध्यम से 72 घण्टे के अन्दर सीधे उनके खाते में भुगतान भी कर रही है। वर्तमान सरकार के पहले वर्ष में 37 लाख मीट्रिक टन, दूसरे वर्ष में 53 लाख मीट्रिक टन तथा तीसरे वर्ष में अभी तक 36 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की गई है। इसी प्रकार धान, तिलहन, दलहन आदि की भी खरीद की गयी है। 
    मुख्यमंत्री ने कहा कि गन्ना प्रदेश की महत्वपूर्ण कैश क्राॅप है। यह किसानों की आय का बड़ा साधन है। राज्य सरकार द्वारा 02 वर्षों में गन्ना किसानों को 68500 करोड़ रुपए गन्ना मूल्य का भुगतान कराया गया है। राज्य में चीनी मिलें अब बन्द नहीं होंगी। इसके लिए कोजेन चीनी मिलें एवं डिस्टलरियां बनायी जा रही हैं। गन्ने से आवश्यक मात्रा में चीनी उत्पादन के पश्चात अवशेष गन्ने से एथनाॅल बनाया जाएगा, जिससे गाड़ियां संचालित होंगी। इस तरह की 03 चीनी मिलें तैयार हो रही हैं। आगे और भी चीनी मिलें इसी प्रकार विकसित की जाएंगी। 
    मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने मण्डी अधिनियम में व्यापक संशोधन कर कृषकों के लिए बाजार को और व्यापक बनाने का प्रयास किया है। मण्डियों में बुनियादी सुविधाएं विकसित की गई हैं। ई-नाम से जुड़ने से मण्डियों के उत्पादों की देश भर में मांग होगी। उन्होंने कहा कि भविष्य में मण्डियों का प्रबन्धन भी किसानों द्वारा ही किया जाएगा।
    मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार ने प्रगतिशील किसान भारत भूषण त्यागी और रामशरण वर्मा को पद्म श्री सम्मान से सम्मानित किया है। यह किसान अन्य किसानों और युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में ऐसे अनेक प्रगतिशील किसान हैं, जिन्हें सामने लाए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कृषि विशेषज्ञों से अपील की कि प्रदेश के सभी जनपदों में प्रगतिशील किसानी करने वाले किसानों को आगे ले आएं। इससे सभी किसानों को प्रेरणा मिलेगी। 
    कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि किसान पाठशाला के माध्यम से कृषि वैज्ञानिकों के शोध को किसानों तक पहुंचाया जा रहा है। अब तक किसान पाठशाला के हर संस्करण में 10 लाख से अधिक किसानों को खेती की तकनीकों के बारे में जागरूक किया गया है। चैथे संस्करण में भी 15 हजार से अधिक पाठशालाओं के माध्यम से 10 लाख से अधिक किसानों को लाभान्वित किया जाएगा। इस दौरान किसानों को कृषि उत्पादकता बढ़ाने, लागत कम करने सहित केन्द्र और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं, उद्यान और पशुधन के विकास के सम्बन्ध में भी जानकारी उपलब्ध करायी जाएगी। 
    कृषि मंत्री ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार के कार्यकाल में कृषि क्षेत्र में तेजी से प्रगति हुई है। गेहूं, धान, गन्ना, सब्जियों आदि का उत्पादन बढ़ा है। प्रदेश सरकार द्वारा किसानों से उनकी उपज की खरीद की जा रही है। राज्य के लिए स्वीकृत 20 में से 13 कृषि विज्ञान केन्द्रों को संचालित कर दिया गया है। कृषि योजनाओं पर व्यय धनराशि 1500 करोड़ रुपये बढ़कर 2,000 करोड़ रुपये से भी अधिक हो गयी है। कृषि विभाग का कर्मचारी किसान के खेत तक पहुंच रहा है। यह विभाग की कार्य संस्कृति में बड़ा बदलाव है। 
    कृषि मंत्री ने कहा कि डी0बी0टी0 के माध्यम से 27 लाख किसानों को कृषि विभाग की विभिन्न योजनाओं से लाभान्वित किया गया है। प्रधानमंत्री कृषि सम्मान योजना के तहत 108.49 लाख किसानों के खाते में प्रथम किश्त के रूप में 2100 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि ट्रांसफर की गयी है। द्वितीय किश्त के रूप में भी 2000 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि हस्तांतरित की जा चुकी है। इस प्रकार 'प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि' योजना के अन्तर्गत किसानों के खातों में अभी तक कुल 4100 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि डी0बी0टी0 के माध्यम से भेजी जा चुकी है।
    कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने काॅफी टेबल बुक 'कृषि कुम्भ-2018' तथा किसान पाठशाला के चतुर्थ संस्करण 'द मिलियन फार्मर्स स्कूल 3.0' की पत्रिका का विमोचन किया। कार्यक्रम में प्रमुख सचिव कृषि अमित मोहन प्रसाद ने एक प्रस्तुतिकरण के माध्यम से कृषि विभाग की प्रगति और उपलब्धियों की जानकारी दी। कार्यक्रम के अंत में कृषि राज्य मंत्री रणवेन्द्र प्रताप सिंह 
    (धुन्नी सिंह) ने अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।
    इस अवसर पर वन, पर्यावरण, जन्तु उद्यान, उद्यान मंत्री दारा सिंह चैहान सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण, मुख्य सचिव डाॅ0 अनूप चन्द्र पाण्डेय, अपर मुख्य सचिव सूचना अवनीश कुमार अवस्थी, प्रमुख सचिव गन्ना संजय भूसरेड्डी एवं वरिष्ठ अधिकारीगण, उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष डाॅ0 विकास गुप्ता तथा कृषि विशेषज्ञ एवं कृषक उपस्थित थे।




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