Monday 17 June 2019

काशी डूबा भगवान जगन्नाथ कि भक्ति में

हिन्दुस्तान की नज़र/मो० फैज़ान


वाराणसी। धर्म की नगरी काशी में आज जगत का पालन और पोषण करने वाले विष्णु अवतार भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ बीमार पड़ते है।
जी हाँ सुनने में ये आपको अजीब भले ही लगे, लेकिन ये होता है कि धर्म की नगरी काशी में दरअसल जेष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि को (आज) भगवान जगन्नाथ के जलाभिषेक की परम्परा है। भक्त अपने आराध्य को क्षद्धा में इतना स्नान करा देते है कि वो बीमार पड़ जाते है। और वो भी पुरे पंद्रह दिनों के लिए। इस दौरान भगवान को आयुर्वेदिक काढे से उपचार किया जाता है। भक्तो को दुःख और सुख का मर्म समझाने के उदेश्य से भगवान जगन्नाथ अपनी लीला के तहत ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से अर्ध रात्रि तक स्नान करते है। वैसे तो काशी नगरी को बाबा विस्वनाथ की नगरी मानी जाती है बाबा तो पुरे विश्व के पालन हार है, मगर भगवान जगन्नाथ तो समूचे जगत के पालनहार है। दरअसल पिछले तीन सौ सालों से वाराणसी के लोग इस परम्परा को बखूबी निभाते चले आ रहे है। पुरे दिन स्नान करने के बाद भगवान ज़ब बीमार पड़ जाते है तो उन्हे काढे का भोग लगाया जाता है, और प्रसाद स्वरुप यही काढा भक्तों को दिया जाता है। लोगों का ऐसा विश्वास है की इस काढे के सेवन से इंसान के शारीरिक ही नहीं मानसिक कष्ट भी दूर हो जाते है। इस प्रसाद को पाने के लिए भक्तो की भारी भीड़ लगी रहती है। वैसे तो काशी भगवान शिव की नगरी है मगर यहाँ भगवान जगन्नाथ की भक्ति में पूरा काशी कई दिनों तक डूबा रहता है। ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिनों से बीमार पड़े भगवान जगन्नाथ १५ दिनों बाद स्वस्थ होते है।



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