Monday 10 June 2019

कला कि दुनिया का एक महान सूर्य अस्त हो गया  

 


 



  • -गिरीश कर्नाड को 1994 में साहित्य अकादमी पुरस्कार, 1998 में ज्ञानपीठ पुरस्कार, 1974 में पद्म श्री, 1992 में पद्म भूषण, 1972 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 1992 में कन्नड़ साहित्य अकादमी पुरस्कार, 1998 में ज्ञानपीठ पुरस्कार और 1998 में उन्हें कालिदास सम्मान से सम्‍मानित किया गया है।


  • हिन्दुस्तान की नज़र/मो० फैज़ान
    लखनऊ। जाने माने अभिनेता, फ़िल्म निर्देशक, नाटककार, लेखक और ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता गिरीश कर्नाड का निधन हो गया। बीते महीने ही 81 वर्ष के हुए गिरीश कर्नाड का जन्म 1938 में हुआ था। गिरीश कर्नाड के निधन पर मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कर्नाटक में तीन दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा की। इस दौरान एकदिवसीय सार्वजनिक छुट्टी का ऐलान भी किया गया। 

  • गिरीश कर्नाड ने 1970 में कन्नड़ फ़िल्म 'संस्कार' से अपना फ़िल्मी सफ़र शुरू किया। उनकी पहली फ़िल्म को ही कन्नड़ सिनेमा के लिए राष्ट्रपति का गोल्डन लोटस पुरस्कार मिला। गिरीश कर्नाड हिंदी फिल्मो में कला फिल्मो का एक जाना माना नाम था। उनके बिना कला फिल्मो कि कल्पना भी नहीं कि जा सकती थी। आर के नारायण की किताब पर आधारित टीवी सीरियल मालगुड़ी डेज़ में उन्होंने स्वामी के पिता की भूमिका निभाई जिसे दूरदर्शन पर प्रसारित किया गया था और यह आज भी उतनी ही लोकप्रिय है जितना उस समय थी। 1990 की शुरुआत में विज्ञान पर आधारित एक टीवी कार्यक्रम टर्निंग पॉइंट में उन्होंने होस्ट की भूमिका निभाई जो तब का बेहद लोकप्रिय साइंस कार्यक्रम था। 

  • उनकी आखिरी फिल्म कन्नड़ भाषा में बनी अपना देश थी, जो 26 अगस्त को रिलीज हुई। बॉलीवुड में उनकी पहली फिल्म 1974 में आयी जादू का शंख थी। बॉलीवुड फिल्म निशांत (1975), शिवाय और चॉक एन डस्टर में भी उन्होंने काम किया था। बॉलीवुड की उनकी आखिरी फ़िल्म 'टाइगर ज़िंदा है' (2017) में डॉ. शेनॉय का किरदार निभाया था। उनकी मशहूर कन्नड़ फ़िल्मों में से तब्बालियू मगाने, ओंदानोंदु कलादाली, चेलुवी, कादु और कन्नुड़ु हेगादिती रही हैं। हिंदी में उन्होंने 'निशांत' (1975), 'मंथन' (1976) और 'पुकार' (2000) जैसी फ़िल्में कीं। नागेश कुकुनूर की फ़िल्मों 'इक़बाल' (2005), 'डोर' (2006), '8x10 तस्वीर' (2009) और 'आशाएं' (2010) में भी उन्होंने काम किया. इसके अलावा सलमान ख़ान के साथ वो 'एक था टाइगर' (2012) और 'टाइगर ज़िंदा है' (2017) में अहम किरदार में दिखे। 
    उन्होंने अपना पहला नाटक कन्नड़ में लिखा जिसे बाद में अंग्रेज़ी में भी अनुवाद किया गया। साथ ही उनके नाटकों में 'ययाति', 'तुग़लक', 'हयवदन', 'अंजु मल्लिगे', 'अग्निमतु माले', 'नागमंडल' और 'अग्नि और बरखा' काफी प्रसिद्ध रहे हैं। गिरीश कर्नाड की कन्नड़ और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में उनकी समान पकड़ थी। 
     केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने लिखा, "फ़िल्म कलाकार गिरीश कर्नाड के निधन से दुख हुआ. उनके परिवार के सदस्यों और प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएं।"



No comments:

Post a Comment

Featured Post

पुलवामा हमले में शहीद हुए वीर जवानों को जौनपुर जिले के जमीन पकड़ी एवम् कोहडे ग्राम सभा में मौन धारण कर एवम् कैंडल मार्च निकालकर श्रद्धांजलि दी गई।

पुलवामा हमले में शहीद हुए वीर जवानों को जौनपुर जिले के जमीन पकड़ी एवम् कोहडे ग्राम सभा में मौन धारण कर एवम् कैंडल मार्च निकालकर श्रद्धांजलि ...